जयपुर। परकोटे के भीतर नाहरगढ़ की पहाड़ियों की तलहटी से बारह भाइयों के चौराहा और ब्रह्मपुरी तक फैले वार्ड 83 में विकास अवरुद्ध है। जयपुर नगर निगम, जलदाय, बिजली और यातायात विभाग सभी अपने-अपने स्तर पर बेहतरीन काम करने का दावा करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सभी में तालमेल के अभाव में बेतरतीब विकास और सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है।
चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक चलने वाली मेट्रो के काम के कारण यातायात का दबाव अत्याधिक बढ़ गया है। जिसके कारण क्षेत्र के नागरिकों को रोजाना परेशानी झेलनी पड़ती है। आपस में तू-तू-मैं-मैं आम बात है। रोजाना कचरा संग्रहण के लिए गाड़ी आती है, लेकिन सकड़ी गलियां होने के कारण अंदर नहीं आती। सुअरों को गली के कोने पर जमावड़े का नजारा आम बात है। नगर निगम इन्हें नहीं पकड़ता।
आम राहगीर परेशान
दिन में लावारिस पशु और रात में श्वानों कीआम रफ्त के कारण निवासियों का जीवन प्रभावित होता है। बच्चे अकेले बाहर नहीं निकल सकते। कोई भी अपना वाहन पार्क करके चला जाता है। शहर में सार्वजनिक रोड लाइटें हंै, लेकिन अधिकांश दिन में भी चालू रहती है।
क्षेत्र एक नजर में
गणगौरी बाजार में शिवदासजी के रास्ते के उत्तर और ब्रह्मपुरी रोड पर होते हुए जागेश्वर महादेव गेटोर रोड से गेटोर की छतरियों तक, इसके उत्तर में काल्पनिक रेखा से पुरानी नगर परिषद सीमा तक पश्चिम में नाहरगढ़ की पहाड़ियों को लेते हुए नाहरगढ़ के रास्ते तक दक्षिण में बारह भाइयों का चौराहे से पूर्व की ओर गणगौरी बाजार, शिवदान जी के रास्ते तक।
बंदरों का आतंक प्रशासन बेखबर
बंदर भी बहुत संख्या में आते है, जिनसे वृद्ध और बच्चें आशंकित रहते हैं। छत पर सूखे हुए कपड़ों को बंदर फाड़ जाते है, इतना हीं नहीं बंदर रसोई घर में घुस कर भी खूब तांडव मचाते हैं। बंदर से वृद्धजन, महिलाएं और बच्चे भी आए दिन घायल हो जाते है।
मौत का साधन: खुला ट्रांसफार्मर
क्षेत्र में हाइवोल्टेज का बिजली का ट्रांसफार्मर खुला पड़ा है। जगह-जगह लगे बिजली के डीपी बॉक्स लगे है, अधिकांश खुले पड़े है। स्थानीय निवासियों और राहगीरों को बिजली के करंट का डर सताता रहता है। कई बार पशुओं की मौत हो चुकी है।